काशीपुर। उत्तराखंड में अंग तस्करी रोकने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। राज्य में लिवर-किडनी समेत अन्य अंग प्रत्यारोपण को स्वास्थ्य विभाग ने विशेषज्ञ डॉक्टरों की समिति का गठन किया है। गठित कमेटी में दो निजी विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी नामित किया गया है। विशेषज्ञ कमेटी गठित होने के बाद अस्पतालों को ब्रेन डेड मरीज के अंगों का प्रत्यारोपण करने से पहले अनुमति लेनी होगी। अब अंग प्रत्यारोपण को कई महीनों से मरीजों के तीमारदार दून अस्पताल एवं स्वास्थ्य महानिदेशालय के चक्कर काट रहे पीड़ितों को राहत मिलेगी।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार की ओर से जारी आदेश के अनुसार उत्तराखंड में लिवर-किडनी समेत अन्य अंग प्रत्यारोपण को बनी कमेटी में निजी डॉक्टरों में रामनगर रोड स्थित चामुंडा हॉस्पिटल के प्रबन्धक एवं वरिष्ठ लेप्रोस्कोपी सर्जन डॉ. यशपाल सिंह रावत एवं डॉ. ज्योति शर्मा एश्लेहॉल देहरादून को कमेटी में शामिल किया है। जुलाई में यह कमेटी भंग हो गई थी। जिस पर डीजी हेल्थ ने शासन से राय मांगी थी। दून अस्पताल के एमएस एवं कमेटी सदस्य डॉ. अनुराग अग्रवाल का कहना है कि कमेटी गठित होने से अब अनुमति दी जा सकेगी। इस अवसर पर डॉ. यशपाल रावत ने कहा कि कमेटी गठित होने के बाद अस्पतालों को ब्रेन डेड मरीज के अंगों का प्रत्यारोपण करने से पहले अनुमति लेनी होगी। समिति की राय पर ही अस्पताल अंगों का प्रत्यारोपण कर सकेंगे। कई लोग जीवित रहते ही देह और अंगदान का शपथपत्र भरते हैं। ब्रेन डेड मरीजों के परिजनों की सहमति पर अंग प्रत्यारोपण किया जाता है। अस्पतालों में ब्रेन डेड मरीज के अंग प्रत्यारोपण का कोई मामला सामने आता है तो पहले एक्सपर्ट कमेटी के सामने इसे पेश किया जाएगा। परिजनों की स्वेच्छा जताने पर कमेटी राय देगी। इसके बाद अंग प्रत्यारोपण किया जा सकेगा।
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